Triphala Churna 100gm त्रिफला चूर्ण
त्रिफला चूर्ण के अवयव -
हरड़
बहेड़ा
आंवला
• त्रिफला त्रिदोष हर है, यह वात, पित्त और तीनों कफ को नियंत्रित करता है
• गैस, खट्टी डकार, पेट-दर्द में भारीपन और अफारा आदि में लाभकारी है • जीर्ण कब्ज का नाश करता है, बड़ी आंत में मल को जमने नहीं देता| • संपूर्ण पाचन तंत्र को शक्ति प्रदान करता है| • कोलेस्ट्रोल को नयन्त्रित कर हृदय को शक्ति प्रदान करता है| •बढ़ती उम्र में शरीर पर होने वाले धब्बे कम हो जाते हैं| रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती है • सप्त धातुओं की पुष्टि करता है| • त्रिफला का बालों पर अच्छा प्रभाव है| • शरीर की मिली हुई चर्बी कम करता है| • त्रिफला के अच्छे सेवन से दांतों और मसूड़ों पर भी प्रभाव पड़ता है| • त्रिफला शरीर में तीनों दोषों को संतुलित करता है। • यह अत्यधिक गैस बनने, पेट में भारीपन, अपच जैसी समस्याओं में राहत देता है।• यह कब्ज के लिए विश्वसनीय उपाय है। • त्रिफला पाचन में सुधार करता है और इस प्रकार हृदय को मजबूत करता है। • इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होता है जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है। • यह शरीर से अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करता है। • त्रिफला बालों की गुणवत्ता में सुधार के लिए जाना जाता है। • इसका मसूढ़ों और दांतों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। • त्रिफला रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
अरोग्यपथ त्रिफला चूर्ण (AROGYAPATH TRIPHALA CHURAN) त्रिदोष के लिए सबसे अच्छा उपाय है। यह पेट की हर समस्या को ठीक करता है और कब्ज से तुरंत राहत देता है। यह पेट दर्द, उदार वायु (गैस्ट्रिक समस्याएं) आदि में भी फायदेमंद है।
यह आंतो की रक्षा करता है व्यापक दर्द से राहत देता है। अरोग्यपथ त्रिफला चूर्ण (AROGYAPATH TRIPHALA CHURAN) शरीर से अतिरिक्त वसा को हटाने में भी मदद करता है। त्रिफला रेचक (रेचक) के रूप में महान काम करता है और मल त्याग की क्रिया में रहने वालों को ठीक करता है।
अरोग्यपथ त्रिफला चूर्ण (आरोग्यपथ त्रिफला चूर्ण) आपके शरीर के व्याप्त तत्वों (डिटॉक्सिफिकेशन) को हाइलाइट करता है तथा आपकी त्वचा को चमकदार बनाता है।
यह पोषक तत्वों से भरपूर तथा आंखों की रोशनी में सुधार लाता है और रक्त परिसंचरण करता है। अरोग्यपथ त्रिफला चूर्ण (AROGYAPATH TRIPHALA CHURAN) सूजन (एडिमा) को भी कम करता है।
यह आम तौर पर आंतों के शक्तिशाली औषध (आंत टॉनिक) के रूप में जाना जाता है, जो पाचन में सहायक होता है और मल त्याग में सहायता करता है।
त्रिफला तीन सादृश्य का संयोजन है:- हरितकी, बिभीतकी और अमलाकी। हरित का वात दोष के लिए उत्तम है, बिभित का कफ दोष के लिए उत्तम है और अमला का पित्त दोष के लिए उत्तम है।
आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ शरीर विज्ञान के सिद्धांत हैं।
त्रिफला चूर्ण से काया कल्प
1:2:4 अनुपात से त्रिफला चूर्ण के लिए हरड़ पीली, बहेड़ा छिलका, आंवला स्वच्छ एवं गुठली अनुपयोगी विधि द्वारा निर्मित त्रिफला चूर्ण, त्रि दोष नाशक अमृत तुल्य रसायन है। जितनी उम्र उतनी रत्ती चूर्ण प्रातः काल खाली पेट छोटा पानी के साथ 12 साल तक सेवन करें। उसके बाद एक घंटे तक कुछ भी खाना नहीं चाहिए।
भारतवर्ष में छह ऋतुएँ एक वर्ष में अपना चक्र पूरा करती हैं, इसलिए प्रत्येक ऋतु के अनुसार त्रिफला चूर्ण में अधोलिखित पदार्थों का मिश्रण करना चाहिए।
1 वसंत ऋतु 14 मार्च से 13 मई शहद के साथ अवलेह बना कर सेवन करें।
2 ग्रीष्म ऋतु 14 मई से 13 जुलाई 1/4 भाग गुड़ के साथ।
3 वर्षा ऋतु 14 जुलाई से 13 सितंबर 1/8 भाग सेंधा नमक के साथ।
4 शरद ऋतु 14 सितंबर से 13 वोटिंग 1/6 भाग देशी खांड या बूरा मिला।
5 हेमंत ऋतु 14 से 13 जनवरी 1/8 भाग संठ मिला कर
6 शिशिर ऋतु 14 जनवरी से 13 मार्च 1/8 भाग पीपल चूर्ण मिला कर।
अति महत्वपूर्ण
काया कल्प करने के लिए दृग, धैर्य, सात्विक आहार, विलासता से दूर दृक् संकल्प के साथ सयंमित जीवन शैली एवम आध्यात्मिक माहौल में सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना की आवश्यकता है।
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